नवरात्रि में, में
बोलो माता रानी की जय बोलो शेरावाली की जय
इंदौर के सभी, भाइयों-बहनों और प्यारे मित्रों को नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई
हमारे देश के सबसे साफ-सुथरे और स्वच्छ, शहर में आना और रहना, बहुत गौरव की बात है, इंदौर को सबसे स्वच्छ शहर, बनाने में जो आप सब ने भूमिका निभाई है, उसे मैं सेल्यूट करता हूं आने वाले समय में आप, में,और हम सभी और प्रयास करेंगे और इंदौर को भारत का ही नहीं, पूरी दुनिया का सबसे स्वच्छ शहर बनाएंगे, हां,,,,
इसीलिए मैं झाडू की दुकान लगा रहा हूं, सभी को मेरी दुकान से झाडू खरीदना है, कहीं ओर से खरीदी तो नयी, आफत खड़ी कर दूंगा, हां,,,,
अभी रास्ते से आ रहा था तो दो घटनाएं घटी
मुझे रास्ते में अजय देवगन मिल गए और उन्होंने विमल खाकर कहा -"बोलो, जुबा केसरी
तो मैंने कहा -"वह सामने गुस्से से भुआ देखरी है और दांत पीसरी है, यह मुंबई नहीं,इंदौर है, अगर किसी ने गंदगी करते देख लिया तो जुबा केसरी नहीं, लाल स्टोबेरी हो जाएगी
और दूसरी घटना
इंदौर की सड़के, जैसे जवान लड़के, आई लव इंदौर की सड़क, कांच की कांच, बाल बिखर गए थे, सड़क पर चेहरा देखकर, बाल जमा लिया, इतनी चकाचक सड़क और कहीं की नहीं है, हां,,,
सबसे पहले तो यह बेटा, अपनी मां के दरबार में आया है और उनके लिए भी जो मुझे जानते हैं, मुझसे प्यार करते हैं और उनके लिए भी जो मुझे नहीं जानते हैं, ताकि आज उनको भी पता चल जाए कि इस दुनिया में एक, धर्मेंद्र बिलोटिया नाम का भी आइटम है, जो सबको हंसाने का काम करता है
हर जीव को जन्म देने वाली, एक स्त्री, एक मां होती है,मातृशक्ति को प्रणाम कर, मैं, अपना काम शुरू करता हूं,,हां,,,,
"अरे,,,,सुन ओ,,फलहानी,,,मैं, माता के दरबार में आ गया, तू भी आजा, गरबा खेलेंगे, और कई, फुंदो लगई के कू, कय"!
इस सुहानी शाम की शुरुआत, एक छोटी सी कविता से करते हैं "खिलते गुलाब के जैसी हसती है"! "ना सजती है, ना संवरती है"!! "खिलते गुलाब के जैसे हंसती है"! "ना सजती है, ना संवरती है"! "फिर भी स्वर्ग की परी लगती है"! यह कविता, किसी लेखक को उसकी पत्नी ने डरा धमका कर, लिखाई है, जिसका हर शब्द झूठ से भरा है, सच मत मान लेना, हां,,,,
आजकल के लड़कों को लड़कियों की हर बात अच्छी लगती है, फिर भले वह बेबी, पप्पी, डोंकी, मंकी कुछ भी कह दे, सब अच्छा लगता हैं पर मुझे लड़कियों की केवल तीन बातें अच्छी लगती है
पहली बात लड़कियां, बिना मेकअप किये ना तो बाहर जाती है और ना कभी खिड़की से झांकती है, ताकि लड़कों की गलतफहमी बनी रहे
दूसरी बात लड़कियां अपनी खूबसूरती का राज किसी को नहीं बताती है, क्योंकि असल में खूबसूरती, एक ऐसा राज है, जिसके बारे में उन्हें खुद नहीं पता होता, पर मेकअप करने वाली लड़कियों को पता होता है, अब वह कौन सा राज है, मुझे नहीं पता, हा,,,
तीसरी बात शहर की लड़कियों को गांव की भाषा नहीं आती है, फिर भले, उनके सामने गांव की भाषा में उनकी सौतन से बात कर लो, उन्हें समझ नहीं आती, ऐसी मेरे एक दोस्त की गलतफहमी थी, जो दूर हो गई है, बेचारा,अस्पताल में भर्ती है
मैंने अपनी 25 साल की उम्र में दुनिया देख ली है,,,,,मानचित्र के नक्शे,,,,,और इस दुनिया की सबसे बड़ी टेंशन की खोज की है
"चलो, पहले तुम बताओ, दुनिया के सबसे बड़ी टेंशन क्या है"?
किसी ने कहा -"पत्नी"!
अरे,,,नहीं यार, पत्नी तो पूजनीय होती है, देवी होती है, दुनिया की सबसे बड़ी टेंशन,पत्नी नहीं, घड़ी होती है, "बेचारी पत्नी तो सिर्फ घर में नचाती है पर घड़ी हर जगह नचाती है, पत्नी तो केवल घर में मिलती है, पर घड़ी तो हर जगह मिल जाती है और जब घड़ी देखो, तब टेंशन शुरू, इतनी बजे यह करना है, उतनी बजे वहां जाना है, इतने बजे जागना है, इतनी बजे सोना है, इतनी बजे खाना है, मतलब घड़ी ने आदमी को अपना गुलाम बना लिया है, अगर तुम इस घड़ी नाम की सौतन से छुटकारा पाना चाहते हो तो तुम सब की घड़ी,मुझे दे, दो,हां,,,
यह बात जिसने भी कही है, एकदम सही कही है कि जिंदगी चार दिन की होती है
पहला दिन बचपन, जो खेलकूद और लड़ाई झगड़ा में निकल जाता है
दूसरा दिन जवानी, जो फोकट का चकरा में निकल जाता है
तीसरा दिन शादी के बाद, घर परिवार की फिकरा में निकल जाता है
चौथा दिन बुढ़ापा,जब आदमी सब कुछ समझ जाता है पर भगवान का बुलावा आ जाता है फिर चार लोग आते हैं और उठा कर ले जाते हैं, साला, पांचवा दिन तो कभी, आता ही नहीं, हां,,,
जैसे जोर-जोर से यहां चिल्ला रहे हो पर ऐसे घर मत चिल्ला देना, क्योंकि घर में पत्नियों की चलती है फिर भले वह पापा की पत्नी हो, भैया की पत्नी हो या फिर हमारी पत्नी हो, क्योंकि मैं भी एक भुक्त भोगी पति हूं, जो बेचारा ना घर का, ना घाट का, दुश्मन अनाज का, सत्यानाश हो पत्नी राज का, चलो, अब चलता हूं, अगर लेट हो गया तो मेरी पत्नी, नाराज हो जाएगी, ऐसा मेरे बारे में सोच भी मत लेना, क्योंकि मैं, उन पतियों में से नहीं हूं, जो पत्नियों के पैर दबाते हैं, मैं उन पतियों में से हूं, जिसका गला उसकी पत्नी दबाती है, अभी घर से आया तो पत्नी ने बेलन की मार दी मुझे, घुटने में बहुत जोर से लगी ही नहीं, बच गया तो दर्द कहां से होगा! मैंने बताया ना, मैं उन पतियों में से नहीं हूं, जो पत्नियों की मार खाते हैं, मेरी पत्नी मुझे मारना तो दूर, हाथ भी नहीं लगाती है, इसलिए वह मेरी, झाड़ू, बर्तन, डंडा,बेलन से आरती उतारती है और कभी हाथ से मारती है तो उल्टा उसके हाथ में लगती है क्योंकि गरम मोम पिघल जाता है और ठंडा मोम जम जाता है,शादी के बाद ठंडा पड़ गया सब,खत्म पिक्चर है अब, दम नहीं जिंदगी में, ऐसा कमजोर सोच के पति सोचते हैं, मैं नहीं,क्योंकि आजकल के जमाने में पति होकर, गरबा देखने आना, आम बात नहीं है, यह एक ऐतिहासिक घटना है, यहां जितने भी पति आए हैं, सच बताना, तुम सभी या तो अपनी पत्नी से पूछ कर आए हो या पत्नी को साथ लेकर आए हो या फिर माता के दर्शन का बहाना लेकर आया हो पर मैं बिना बताए आया हूं, क्योंकि मेरी पत्नी 2 दिन के लिए मायके गई है, यह दो दिन 100 दिन के बराबर है
जब मैं नया-नया 16 साल का हुआ तो दूसरों के मोहल्ले में गरबा देखने जाता था, क्योंकि मेरे मोहल्ले की सारी लड़कियां मुझसे दिलो जान से नफरत करती थी, वह कुत्तों को किस देती थी और मुझे खींच कर देती थी, कुत्तों को गले लगाती थी और मेरा गला दबाती थी, ऐसा मेरे बारे में सोच भी मत लेना, क्योंकि सोचने से सपने सच नहीं होते हैं, हकीकत यह थी कि जब मोहल्ले की सभी लड़कियों ने मुझ में इंटरेस्ट नहीं लिया तो उन पर से मेरा भी इंटरेस्ट खत्म हो गया, इसीलिए तो मैं दूसरों के मोहल्ले में गरबा देखने जाता था, वहां दूसरे मोहल्ले के लड़के मुझसे पूछते थे कि यहां क्या करने आया है तो मैं कहता था, माता जी के दर्शन करने आया हूं और करके ही जाऊंगा,,,हां,, ,
मेरा तजुर्बा कहता है,इस दुनिया की सबसे खतरनाक चीज लड़की होती है, जो सीधे-साधे लड़कों को अपने जाल में फसाती है फिर पैसे वाला देखकर, बॉयफ्रेंड बनाती है,अच्छे घरबार, नौकरी-चाकरी वाला देखकर,पति बनाती है फिर फटाफट बच्चे-बच्ची का बाप बनाती है, घर का सारा काम कराती है, मतलब सारी जिंदगी बेवकूफ बनाती है, अगर यह बात मुझे, पहले पता चल जाती तो मैं तुम सब, बेगुनाहों की जिंदगी बचा सकता था पर अब तो बहुत देर नहीं हुई है, क्योंकि जब जागो तब सवेरा नहीं होता है, रात के 2:00 बजे जाग गए तो क्या सवेरा हो जाएगा, सूरज निकलने के बाद ही सवेरा होता है, इसीलिए सूरज बनो फिर निकलो, तुम जहां जाओगे, वहां सवेरा होगा, ताली क्यों बजा रहे हो, क्योंकि हम जब से पति बने हैं, सो वाल्ट का बल्ब नहीं बन पाए और सूरज बनने का सपना देख रहे हैं!
Mohammed urooj khan
11-Nov-2023 11:32 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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